जीवन की यही कहानी है
बस साँसों का तानाबाना है
कही दुख की ढ़लती छाँव है
कही खुशियों भरा खजाना है
कही पतझड़ स मौसम है तो
कही फूलो से चमन सुहाना है
कही गरमी में आती कपकपी है
कही सर्दी में माथे पर सर्द पसीना है
कही मीठी यादों का झरना है तो
कही झूट का रूठना और मानना है
प्यारे जीवन की यही कहानी है
एक दिन बस स्मृतिशेष रह जाना है
दीपक अवस्थी
लखीमपुर खीरी उत्तरप्रदेश
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