कवि विशाल चतुर्वेदी "उमेश" जी द्वारा 'बेटी' विषय पर रचना

बेटी 
---------------------------------
यही तो वो हूर है । 
जो अपने  पिता का गुरूर है ॥ 
इसकी हर अदा पे मुस्कराता है । 
अपने सारे गम भूल जाता है ॥ 

विशाल चतुर्वेदी " उमेश "

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ