कवयित्री - आ. गरिमा विनित भाटिया द्वारा (अभियंता की आपबीती ) बहुत ही बेहतरीन रचना

*अभियंता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ* 

 *अभियंता की आपबीती* 


आज थक रहा हूँ 
खुद को रज रहा हूँ 


रज रहा हूँ 
कल के आराम के लिए 

वक्त को समेट रहा हूँ 
खुद को परखने के लिए 

तिनका -तिनका बिखर रहा हूँ 
पल-पल सम्भलने के लिए 

दिन को रात में बदल रहा हूँ 
खुद को रचने के लिए 

ठहर-ठहर बहे जा रहा हूँ 
मन्जिल तक पहुचने के लिए 

आज थक रहा हूँ 
 कल को बदलने के लिए 


 **कवयित्री _* 
 *गरिमा विनित भाटिया* 
 *अमरावती महाराष्ट्र**

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