बेटियाँ#*डॉ प्रकाश मेहता,बेंगलुरु जी द्वारा बेहतरीन रचना#

*"बेटियाँ"*
*जिंदगी के छंदों का अलंकार होती है बेटी,*
*वात्सल्य के श्रृंगार का रस होती है बेटी,*
*कल के संसार का यश होती है बेटी,*
*हर पिता के भाग्य में नहीं होती बेटी।*

*राजा दशरथ जब अपने चारों बेटों की बारात लेकर राजा जनक के द्वार पर पहुँचे तो राजा जनक ने सम्मानपूर्वक बारात का स्वागत किया।*
*तभी दशरथ जी ने आगे बढकर जनक जी के चरण छू लिये।चोंककर जनक जी ने दशरथ जी को थाम लिया और बोले महाराज आप मुझसे बड़े है और तो और वरपक्ष वाले है ये उल्टी गंगा कैसे बहा रहे हैं .....?*
*इस पर दशरथ जी ने बड़ी सुंदर बात कही,महाराज आप दाता हो कन्यादान कर रहे हो, मैं तो याचक हूँ आपके द्वार कन्या लेने आया हूँ , अब आप ही बताऔ दाता और याचक में बड़ा कौन है ?*
*यह सुनकर राजा जनक की आखो मे अश्रुधारा बह निकली...।।*
*भाग्यशाली है वो लोग जिनके घर में होतीं है बेटियाँ। हर बेटी के भाग्य मे पिता होता है लेकिन हर पिता के भाग्य मे बेटी नहीं होती।* 
*उन्हीं पिताओं में से एक अभागा में भी हूं, ईश्वर ने समय पुर्व (15.11.1997) उसे अपने पास बुला लिया।* 
*बेटी की हर ख्वाहिश पूरी नहीं होती फिर भी बेटियां कभी भी अधूरी नहीं होती।*
*बेटी दिवस की हार्दिक शुभकामनाए..*
मेरी कलम से..
*डॉ प्रकाश मेहता,बेंगलुरु*

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