कवि- आ. प्रकाश कुमार मधुबनी जी द्वारा बहुत ही खूबसूरत रचना...

अब चाहत है कि 
अपना काम कर जाऊ।
इस झूठी दुनियां में प्रभु 
का नाम लेते जाऊ।।
क्या पता साँस कब
कहाँ कैसे टूट जाए।
सोचता हूँ पुष्प बनकर
 उनके के चरणों में 
क्यों ना बिखड़ जाऊ।।

प्रकाश कुमार मधुबनी

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1 टिप्पणियाँ

  1. सच मे सासों का क्या भरोसा कब पिंजरे से उड़ जाए।प्रभु नाम पिले रे...
    anitamantri1971@gmail.com
    Amravati maharashtra

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