कवयित्री नेहा जैन जी द्वारा 'मेरे गणेशा' विषय पर रचना

गणेशा मेरे गणेशा 
तुमरहना साथ हमेशा
ऋद्धि सिद्धि को साथ लाना
मुझ पर करुणा बरसाना
गणेशा मेरे गणेशा
मोदक का मैं भोग लगाऊ
दुर्बा तुमको रोज चढाऊँ
माता तुम्हारी पार्वती
पिता तुम्हारे महादेव
पूजूँ मैं तुमको निशदिन
दूर करना तुम मेरे विध्न
भोले भाले मेरे गणेशा
सुनलो तुम यह संदेशा
बेटी हूँ तुम्हारी मैं 
पिता बनकर मेरा
हाथ पकड़ लो बप्पा तुम
अपराध मेरे क्षमा कर दो
मुझको तुम अब अपना लो
भाव मेरे देखो तुम
मुझको न अब और सताओ
आ जाओ अब घर मेरे
मुझको पावन कर जाओ
   
स्वरचित
नेहा जैन

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