'बदलाव मंच' कवि व समीक्षक भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा 'दोस्त को पैगाम' विषय पर रचना

मंच को नमन
विषय -दोस्त को पैगाम

मेरे प्यारे दोस्त घर जाकर कह देना
माजी  तेरा  दूध हुआ अमर कह देना

बाबूजी आपका वचन निभाया कह देना
सीने पर गोली खाई भाई से कह देना
रण में दुश्मन के शीश उतारे हैं हमनें
बहन से राखी की सौगंध निभाई कह देना
मेरे प्यारे दोस्त घर जाकर कह देना
मांजी तेरा दूध हुआ अमर कह देना

सर झुकने न दिया गांव के बरगद से कह देना
काकी पूछे अगर कहीं चरण वंदन कह देना
तुम जाकर आंगन की तुलसी को वंदन करना
दोस्त दोस्त से क्या छुपा सब सच सच कह देना
मेरे प्यारे दोस्त घर जाकर कह देना
मांजी तेरा दूध हुआ अमर कह देना

पत्ती तना टहनियों से प्यार हमारा कह देना
माटी का लगा तिलक नमन माटी से कह देना
रखना आन बान शान अब तुम्हें तिरंगे की
फूलों से कलियों से तुम यह कह देना
मेरे प्यारे दोस्त घर जाकर कह देना
मांजी तेरा दूध हुआ अमर कह देना
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक ( कवि एवं समीक्षक)कोंच

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