🌹*विनम्र श्रद्धांजलि*🌹
हिंदी की प्रख्यात एवं बेहद प्रतिभावान कवियत्री
*महादेवी वर्मा*
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26 मार्च 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में,
हेमरानी देवी,गोविंद प्रसाद वर्मा के घर
होली के दिन जन्मी एक विदुषी
सात पीढ़ियों के पश्चात पुत्री आगमन पर,
पिता ने हर्षित हो नामकरण किया,
"महादेवी"
चार भाई-बहनों में शांत ,गंभीर पर थी ये विद्रोही,
शैशवावस्था से ही बहुमुखी प्रतिभा की धनी
करुणा,दया,कोमल अनुभूतियों की अनुभूति करती,
चित्र बनाती,तुकबंदी करती,कविता लिखती,
7 वर्ष की अवस्था से ही व्यक्त करती दार्शनिकता,
आध्यात्मिकता, दयालुता, विद्रोही पन
मां से सुनी करुण कथा से 100 छंदों का खंडकाव्य लिख डाली,
बालिका वधू बनी 9 वर्ष की अवस्था में
परिभाषा कहां पता थी विवाह की इस अवस्था में
स्वीकार न सकी जीवन पर्यंत वैवाहिक संबंध,
बाल विवाह का अवसाद झेलती
विरक्ति ऐसी उत्पन्न हुई सन्यासी सी, पहनती श्वेत वस्त्र ,सोती तख्त पर, जीवन पर्यंत दर्पण ना देखी
रही अध्यापक ,कवि,गधकार, कलाकार ,
समाजसेवी, व्याख्याता ,संपादक
विश्व में नारी इतिहास में अभूतपूर्व अद्भुत,
दृढ़ ,आक्रोशि ,संवेदनशील ,भाव चेतन ,मार्मिक, नितांत मौलिक,
हृदयग्राही ,प्रणय, करुणा ,रहस्य वेदना से परिपूर्ण कृतियां इनकी,
बच्चों,गरीबों,दलितों,विधवाओं जैसे विषयों पर,
विविध विद्याओं द्वारा नवजागरण का प्रयास करती,
समाज एवं साहित्य की निरंतर सेवा करती,
हिंदी साहित्य भाषा के विकास में
अविस्मरणीय योगदान देती,
छायावादी युग की चार स्तंभ की एक स्तंभ कही जाती "महादेवी"
अनेक उपाधियों से अलंकृत
आधुनिक युग की मीरा कहलाती,
हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती भी कहलाई,
निहार,नीरजा,रश्मि,सांध्यगीत, दीपशिखा, प्रथमआयाम, अग्नि रेखा, सप्तपर्णा,
यामा, गीतपर्व, परिक्रमा, संघीनी, आत्मिका, दीपगीत, नीलांबरा अमर कृतियां इनकी,
हिंदी साहित्य, गद्य एवं पद्य को चित्रमयी, प्रतीकात्मक, लाक्षणिक,
नादात्मक, नूतन संगीतात्मक, नवीन छंदबद्ध ,अलंकृत करती,
11 सितंबर 1989 को संसार की वेदनामय दुखों से मुक्त हो
पंचतत्व में विलीन हो गयी।
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