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मुदइयों मारल ना जाला।
केहु के लेलकारल ना जाला।
सभ में भगवान बसल बानी-
एही से दुत्कारल ना जाला।
जो निमन के बाउर कहबी।
नरके परबी अपयश सहबी।
जब बाउरे सभका से बोलबी-
तब केकरा से निमन रहबी।
पढ़ला -लिखला से का भईल।
जब रहनी मन बिगडी़ गईल।
बाउरे में लथपथ हो करके-
बहुते लोग एही जा सरी गईल।
सोच समझ कुछउ कहबी।
का पता बा कि कबले रहबी।
छोट -बड़ बोलीयें कई देला-
तब काहे गढ़हा में परबी।
अबहूसे जागी निमनमें समाई।
सुधरे समाज उ अजोर फइलाई।
तोप तलवार बम बनिके का होई-
सुई बनी सभकाके एकमें मिलाई।
बाउर बवाल बद केकहाँ मोल बा।
निमन मिठबोली में प्यार घोल बा।
इहे त लोक-परलोक के बनावेला-
तब राउर बोलीकाहे डवाडोल बा।
केहुए से केहु अब कहा कम बा।
बोलिये बतादेला केतनाले दम बा।
हम हम कइलासे सभका भेटाइल-
जिनगीमेंआफत दुख दाह गम बा
सतयुग , त्रेता , व्दापर, कलयुग।
बांचल ना बाटे कवनो युग।
निमन बाउर त पक्का बा -
होते रही हरदम युग -युग।
बाउर छोडी़ निमन करी।
झंझट झगरा में मती परी।
भोजपुरी महिमा बनल रहे-
आगे बढी़ कुछू अइसन करी।
आपस में सभे भाई -भाई ह।
एहीमें सभ कर भलाई ह।
निमन बाउर बेटा - बेटी सभे-
भोजपुरी सभ कर माई ह।
कबो बाउर में पइठी मती।
आलस कके कबो बइठी मती।
निमन लिखी निमन सिखी-
अपनी अभिमान में अइठी मती।
मती मारी गइल बाटे ओकर,
जे बनत दबंग आ दाबू बा।
केहु के केहु समझा दे,
केकरा में अइसन काबू बा।
अपने समझ बुझ से सुधर ,
सहुर सीख लिहल जे दुनिया में-
उहे सभका से बडहन बा,
उहे ए जग में बाबू बा।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)८४१५०८
मो०नं०- ९५७२१०५०३२
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