"सूर्यकांत त्रिपाठी निराला"
रंगों की दुनियाँ के कारीगर
भावों की सुंदर अभिव्यक्ति करते थे
कही देशप्रेम का जज़्बा
कही कुदरत के प्रति अनुराग
समाजिक रुढ़ियों को सदा करा
विरोध काव्य में जिनके दिखता है
छायावाद के चार स्तम्भों में एक
मजदूर दलित किसान की आवाज बने
मिदनापुर बंगाल में जन्मे
बालक वो सुर्जल कुमार
बनके निराला चमके जो
परिमल, अपरा, अनामिका, आराधना, गीतिका, कुकुरमुत्ता,राम की शक्तिपूजा, अणिमा
उत्कृष्ट वो उनकी रचनाएँ थी
कोमलता जिनकी विशेषता थी
वो तोड़ती पत्थर
देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर
आज भी करुण रुदन सुनाती है
इलहाबाद में जिसने त्यागे प्राण
विद्रोही उस कवि
को करती हूँ शत शत प्रणाम
स्वरचित
नेहा जैन
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