तेरे शहर में ना होते#अरविन्द अकेला जी द्वारा खूबसूरत रचना#

गीत 
     तेरे शहर में ना होते
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गर हम पागल तुम्हारी नजर में नहीं होते,
समझो मेरी जान तेरे शहर में नहीं होते।

बड़ी मुश्किल से लाया हूँ तुम्हें सबसे छुपाके,
बड़ी कष्टों से पाया है तुम्हें बचके बचाके,
गर नहीं होते हम तेरे दिल जिगर के दीवाने,
तो समझो मेरी जान हम तेरे घर में नहीं होते।
     गर हम पागल.......।

बड़ी जालिम यह दुनियाँ तेरे मेरे प्यार की,
नहीं करती यह कद्र मेरे जाँ निसार की,
गर नहीं होते हम तरे आशिक परवाने,
समझो मेरी जाँ,जमाने के कहर में नहीं होते।
     गर हम पागल.......।

आरजू मेरी यह,सजा के रखना अपने चमन को,
तुझसे विनती मेरी,बचा के रखना धरा व गगन को
गर नहीं होता प्यार इस नफरत भरे जमाने में,
तो समझो मेरी जाँ तेरे दिल जिगर में नहीं होते।
     गर हम पागल.......।
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       अरविन्द अकेला

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