दिलपर किसीके मत कभी मानव आघात कर
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सोचकर सभी के सामने सच्ची ही बात कर।
दिलपर किसी के मत कभी मानव आघात कर।।
घाव तीर ,तलवार का तो भर ही जायेगा।
जख्म विश्वासघात का जहर फैलायेगा।।
आक्रोश में खो होश ना कोई जज्बात कर।
दिलपर किसी के मत कभी मानव आघात कर।।
विश्वास ,आश ,प्यार ,एतवार ना छोडो।
तागा परस्पर प्यार का चटकाये ना तोडो।।
सेवा सहयोग कर नहीं दोस्ती में घात कर।
दिरपर किसी के मत कभी मानव आघात कर।।
हाँ करके मुकर जाना भारी गुनाह है।
दिल को दुखाना ही दर्द भरी कराह है।।
लोभ मोह में फँसकर ना किसी को मात कर।
दिलपर किसी के मत कभी मानव आघात कर।।
जैसा करोगे साथ में वही तो जायेगा ।
समय अभी सम्भल नहीं पीछे पछतायेगा।।
अरि को भी दया प्यार से सहर्ष नात कर।
दिलपर किसीके मत कभी मानव आघात कर।।
सत्य की ही होती जीत भले ही देर हो।
आलोक सत्य है कसे झूठ के अंधेर हो।।
सत्यसार ही"बाबूराम कवि"सदा कबुलात कर।।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)841508
मो0नं0 - 9572105032
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