छोड़ मत# प्रकाश कुमार मधुबनी जी द्वारा शानदार रचना#

*स्वरचित रचना*

*छोड़ मत*
छोड़ मत आगे बढना।
नए नए नित कहानी गढना।।

जीवन में तो वही चैन पाते।
जो छोड़ते नही हालात से लड़ना।।

अब बिल्कुल थकना नही है
अब बिल्कुल हटना नही है।
ये यज्ञ है आहुति देना है कर्मो से।
इसलिए बिन करे नही हटना।।

कायरता से ऊपर उठकर।
मानवता के लिए लड़कर।।

अपने प्रतिज्ञा को है पूर्ण करता चल।
हे रीवा का वासी भरतवंशी सुनले
 निष्ठा पूर्ण हो के नवसंचार करता चल।।

प्रकाश की बातों को तू रट ले।
स्वयं पर यकीन तू कर ले।।

तू अपने कर्म से जीवन 
को सार्थक करता चल।
है कर्ज जो तेरा धरती पर 
वो मूल ब्याज चुकता करता चल।।

प्रकाश कुमार 
मधुबनी,बिहार

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