*तपिश में भी सावन है,*
*शहर बड़ा मनभावन है,*
*दिवस आज एक पावन है.*
*दिये जलाऊँ, खुशियाँ मनाऊँ,*
*शहर की गलियों को बताऊँ,*
*दीदार ए दीपक को मैं जो पाऊँ,*
*ख्वाब ने कहा हकीकत में आ जाऊँ.*
*पल पल अब बस इंतज़ार है,*
*आ रहा जो यारों का यार है,*
*खुशनसीबी तो बेकरार है,*
*ख्वाहिश मेरी बेशुमार है.*
*साहित्य ने जिसे मिलाया है,*
*दोस्त क्या है ये बतलाया है,*
*आंखों में ये चमक समाया है,*
*सब बदलाव की ही माया है.*
*डॉ सत्यम भास्कर भ्रमरपुरिया*
*अंतरराष्ट्रीय सचिव, बदलाव मंच*
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