कवियत्री माधवी गणवीर जी द्वारा रचना.... (विषय-लॉकडाउन में शिक्षकों की स्थिति)

बदलाव मंच
लॉकडाउन में शिक्षकों की स्थिति

कैसे बयां करें कोरोना और उसका विकट हाल,
 सबको दिखा दिया उसने साक्षात मौत का तांडव काल।

लाक डाउन में शिक्षक,हो गया कितना मजबुर,
शिक्षा, दीक्षा, ज्ञान प्रकाश से निकल गया दूर।

शिक्षण संस्थान बंद हुए,शिक्षक भी हुए हताश निराश,
प्राइवेट स्कूल शिक्षको को इस महामारी ने किया हताश।

कहाता वह राष्ट्र निर्माता, सुबह से किस्तों में लगता था ताता,
शिक्षा की अलख जगाने को शिफ्टों  में ज्ञान था बाटता।

आज संकट काल की ऐसी मार पड़ी है
रोजी रोटी की समस्या मुंह बाए खड़ी है।

घर परिवार की जिम्मेदारियों के बोझ तले शिक्षक दबा,
नौ सीखिए परिंदो को उड़ान देने वाला, आज खुद अंधकार में फंसा।

सरकारी शिक्षकों का भी लॉकडाउन में बुरा हुआ हाल,
 स्कूल में सख्त हिदायतें देते, मोबाइल ना छूने की, मोबाइल में पढ़ाना भी है कमाल।

बिना बच्चे स्कूल सुना, सुनी क्लासरूम, टेबल, बेंच, बोर्ड प्रार्थना स्थल है,
इमारत खड़ी, चीख रही, सुना मैदान, सुना गलियारा, सुना शोरगुल और ध्वज है।

लाक डाउन में मोबाइल में ऑनलाइन क्लास में, ना देख पाते बच्चों के हाव भाव है,
कभी दोहराते, कभी समझाते, बदमाशी में डाट लगाते, पूछते सवाल है।

लाईव क्लास में प्रत्येक बच्चे को, मोबाइल सुविधा नहीं पाते,
 शिक्षा का गिरता स्तर, कोरोना की भेंट चढ़ाते।

होमवर्क की जांच और टेस्ट का मूल्यांकन भी बहुत मुश्किल बन पड़ा,
 हाय! कोरोना तूझे, मासूम बच्चों के भविष्य के साथ भयानक खिलवाड़ क्यों करना पड़ा।।

अब शिक्षक घर-घर  जाकर पुस्तक बाटता, राशन,मुहल्ले क्लास पढ़ाता है,
कोरोना काल में शिक्षक खुद,
कोरोना का शिकार हो काल की बलिवेदी पर चढ़ जाता है।

माधवी गणवीर
छत्तीसगढ़

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