बेरोजगार भटकता युवा#भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा बेहतरीन रचना#

मंच को नमन
विषय -बेरोजगार भटकता युवा
वैसे भी शिक्षित बेरोजगार
हमारे देश में कम नहीं
उस पर कोरोना की मारने
कंपनियों ने
कर दिया बेघर
जाए तो जाए कहां
बेरोजगार भटकता युवा

सरकार ने भी
कर दिया फरमान जारी
नहीं लगाई जाएंगी
अब कोई नौकरी सरकारी
महंगी शिक्षा
मां बाप पर बोझ
आज का
बेरोजगार भटकता युवा

मजदूरी
मनरेगा के काम
नहीं मिलते
आज सरलता से
ठेकेदारों की मनमानी
झेलता है
मजबूरी में
बेरोजगार भटकता युवा

दर दर भटकते
पेट के ने वालों के लिए
जवानी
कैसी जवानी
आ जाता है बुढ़ापा
बचपन से सीधा
दो जून की रोटी
जुटाते जुटाते 
कैसे प्राप्त हो
आगामी भविष्य को
सुख दिन रैन का
चिंतन से कोसों दूर
चिंता में
बेरोजगार भटकता युवा
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक कोंच

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