'बदलाव मंच' राष्ट्रीय सचिव रजनी शर्मा चंदा जी द्वारा 'ओ री पवन' विषय पर रचना

नमन बदलाव मंच
ओ री पवन (गीत)

मिलने को आएंगे मोरे सजन
 धीरे-धीरे से बहना ओ री पवन...

 सांझ का दीपक जलने से पहले
 सूरज के पूरा पिघलने से पहले
 नदिया किनारे जब होगा मिलन
 कर के वादा गए हैं मोरे सजन

धीरे धीरे, होले होले से बहना ओ री पवन 
बैरन जुदाई लगी अगन 
धीरे-धीरे से बहना ओ री पवन...

 जब आऐ सजन तू भी हौले से आना 
कुछ गेसु मेरे मुख पे के उड़ा के ले आना
 मोहे घूरे निहारे है मोरे बलम
 हाय रे सखी मोहे आए शरम
 धीरे-धीरे से बहना ओ री पवन....

 आंचल भी मोरा ढलक ढलक जाए 
जियरा की धक धक अब दे है सुनाऐ
बाबरा हुआ जाए प्रेमी दो मन
 धीरे-धीरे से बहना ओ री पवन....

 नदिया का पानी मारे हिलकोरे
 चितवन में छाए वो चंद्र चकोरे
गोरी गोरी कलाई चूड़ियां करे छन छन
 धीरे-धीरे से बहना ओ री पवन...

मिलने को आएंगे मोरे सजन
 धीरे-धीरे से बहना ओ री पवन

 रजनी शर्मा चंदा
रांची झारखंड

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