पहिले आत्म सफाई कर
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✍️बाबूराम सिंह कवि
जन मानस जग जी़वनको सुखदाई कर ,
सतत सुचि सेवा सत्कर्म भलाई कर।
जन्म जीवन कर सुफल सदा हरि से,
परोपकार परमार्थ में दृढताई कर।
मात-पिता ,गुरु-विप्र चरण में स्वर्ग
बसे,
श्रद्धा भाव से पूरित पांव पुजाई कर।
गहन गति कर्मो की है अद्भुत न्यारी,
बच दुर्गुण से चेत ना कभी बुराई कर।
जाग अन्तः से अचूक ज्ञान सोटा लेकर,
काम क्रोध, लालच की सजग पिटाई कर।
द्वेष दम्भ छल कपट लपट से निकल जरा,
माया मोह विकट से सदा जुदाई कर।
यश पद लिप्सा निजस्वार्थ है ब्यर्थ सदा,
बेच ईमान मत अपनी जगत हंसाई कर।
घूस रिश्वत, चोरी गोवध है महापाप,
इसे बन्द करने की सतत कडाई कर।
देश सुरक्षा स्वयं की रक्षा है प्यारे,
बांध कफन माथे पर बढ अगुआई कर।
झूठ अनावश्यक निन्दा, कटुवचन छोड़,
वाकशक्ति वाणी में मधुरताई कर।
भारत की संस्कृति सभ्यता अति पावन,
सद्भाव शुभ सद्गुण में गुरुताईकर।
क्यालाया क्या लेजायेगा सोच जरा,
नेक नियत से नेकी पुण्य कमाई कर।
श्रेष्ठ योनि मानव का मिले ना पुनःपुनः,
आत्म सुधार की अनुभव सत्य पढाई कर ।
वचन कर्म मन एक नेक करके अपना,
बाबूराम कवि पहले आत्म सफाई कर
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✍बाबूराम सिंह कवि
ग्राम खुटहा, पो०विजयीपुर, भरपुरवा, जि०गोपालगंज(बिहार)
पीन-८४१५०८मो०नं०९५७२१०५०३२
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