चित्रानुसार...,🙏🙏
एक दूसरे से दूर दूर,विपरीत सेबैठे हैं।
लगता हैं एक दूसरे से बहुत रुठे रुठे हैं।
पहले जैसी अब बात, वो कहा रही हैं।
पहले सी ईश्क की, इबादत अब कहा हैं।
खूबसूरत दो इंसानो मे, प्यारा समर्पण हैं।
त्याग,प्रेम,विश्वास का,करते जो अर्पण हैं।।
आधुनिक समाज,सभ्यता संस्कृति छोड़ रहा हैं।
विदेशी कुरीतियों को,अपने गले लगा रहा हैं।।
जीवन मे लोग,पाश्चात्य सभ्यता अपना रहे है।
रुठने मनाने को,ब्रेकप,पेचप समझा रहे हैं।।
ना करे कोई ये नदानी,जन जन की ये कहानी हैं।
मझधार मे रहती नैया, सुने दुनिया की जुबानी हैं।।
योगिता चौरसिया
2 टिप्पणियाँ
Bhor badhiya yogita ji👏👏👌
जवाब देंहटाएंBhot badhiyaan yogita ji👏👏👌
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