कवयित्री चंचल हरेंद्र वशिष्ट जी द्वारा रचना (विषय- हम तुम)

हम तुम..
अब साथ ही रहेंगे
हमेशा......
क्या करें
ये साथ सुखद तो नहीं
मगर मजबूरी है
क्या करें फिर...
बस अब.,
तुमसे रखनी अब दूरी है
सदा के लिए....
हमें तो रहना है.....तो रहना ही होगा..
इन्हीं हालात में...
इन्हीं खयालात में...
इन्हीं जज़्बात में...
हम तुम...... अब साथ होते हुए भी साथ नहीं.....
क्यूंकि तुम हमारे नहीं हो तो तुम्हें हम अपना तो नहीं सकते...
और ठुकरा कर भी देख चुके तुम्हें... 
पर तुम हो कि.....
क्या कहें तुम्हें
उफ़, उफ्फ़...कोरोना!
दूर हटो ना..दूर हटो ना
चंचल हरेंद्र वशिष्ट
24/09/2020

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