हिन्दी अपनी जान है,#भ्रमरपुरिया जी द्वारा बेमिसाल व अद्वितीय रचना#

*हिन्दी अपनी जान है,* 
*आन बान और शान है,* 
*माँ भारती की यही तो पहचान है,* 
*मातृभूमि की अरमान है,* 
*अंग्रेज़ी पुतले की तो बंद जुबान है,* 
*हाय बाय पे फक्र करे,* 
*हिंदी में निकल जाती जान है,* 
*माम, डैड, पर गर्व करे,* 
*पिज़्ज़ा बर्गर उनकी जान है,* 
*हिन्दी भाषा से शरमाते हैं,* 
*अंग्रेज़ी पे इतराते हैं,* 
*तो सुन, ऐ नादान, एक बात तुम्हेँ बतलाते हैं,* 
*विदेशी भाषा का अवश्य रखो ज्ञान,* 
*हिन्दी से ही हिन्द की पहचान है,* 
*सभ्यता, संस्कृति की जान है,* 
*स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस पर, गाते हम हिन्दी गाण हैं,* 
*कण कण में हिन्दी की शान है,* 
*हम सबकी प्यारी मुस्कान है,* 
*तो आओ प्रण लो,* 
*निज भाषा का करे सम्मान,* 
*जीवन पर्यंत रहे यही विधान,* 
*नतमस्तक हो समक्ष इसके देश रहे अपना महान।*

*भ्रमरपुरिया, बदलाव मंच.*

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ