दिनांक-11-09-2020
विषय-पल भर का प्यार
जीवन में रस घोल देता है,
पल भर का प्यार।
व्यक्ति के संत्रास हर लेता है,
पल भर का प्यार।।
मन मयूर मुदित नाच उठते,
हो आह्लादित ।
नेह दीया जला देता है,
पल भर का प्यार।।
रंग सुखद बरसाता है ,
पल भर का प्यार।
गम का सागर पी जाता है ,
पल भर का प्यार।।
पल में प्यास बुझा देता है,
झरने का दुलार।
रोते को हंसा देता है,
पल भर का प्यार।।
अंबर शीश झुका देता है,
पाकर सत्कार।
पर्वत राह छोड़ देता है,
भाव देख उदार।।
लोहा मोम बना देता है,
पल भर का प्यार।
शूल को मित्र बना लेता है,
पल भर का प्यार।।
सिंधु पर सेतु बांध देता है,
मजबूत आधार।
तूफां का रुख मोड़ देता है,
माणिक अधिकार।।
बाधाएं अपना लेता है,
पल भर का प्यार।
सारे भेद मिटा देता है,
पल भर का प्यार।।
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक ( कवि एवं समीक्षक)कोंच
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