दिनांक :o1/09/2020
शीर्षक - घूँघट
विधा :कविता
*घुँघट*
चाँद से मुखड़े पर से,
घुँघट उठाओ तो,
दीदार हो जाये!
अब मत शरमाओ कि,
घुँघट और नीचे गिर जाये!!
अब तो हमारे,
दिल मिलने वाले है!
घुँघट उठाओ तो,
फिर बात बने !!
नजदीकियाँ बढ़ेगी हमारी,
दूरियां होगी कम !
दूर दूर तक दिल मे,
कोई खामोशियाँ न हो!!
दिल के रेगिस्तान मे,
आओ मिल जाये हम,
फिर दोनों मे प्यासा न हो !
मजबूर मत करो मुझे,
घूँघट उठाने पर !!
खुद घूँघट उठकर,
चाँद का दीदार करा दो !
शिवशंकर लोध राजपूत ✍️
व्हाट्सप्प no. 7217618716
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