कवि प्रशांत कुमार 'पी.के' जी द्वारा 'माँ' विषय पर रचना

नमन मंच  
     *【माँ 】*
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माँ है वो चीन की दीवार।
खड़ी मुसीबतों में तैयार।
बन जाती क्षत्राणी की ढाल।
पारकर छू भी नही सकता काल।।
*खुद पर सह लेती हर वार।*
उफ़्फ़ तक न करती एक बार।
बिंध जाए भीष्म पितामह सी,
फिर भी न छोड़ती प्यार दुलार।।
खुद के अंक में ढक लेती है,
आँचल अपना देती पसार।
लड़ जाती है इक योद्धा सी,
मर मिटने को हो जाती तैयार।।
संतति की जीवन रक्षा हित,
*खुद को कर देती है निसार।।*
कैसे सकूँ तेरा कर्ज उतार,
तुझ पर सौ सौ जन्म निसार।।
माँ तेरा कोटि कोटि आभार।।
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       प्रशान्त कुमार"पी.के."
     पाली हरदोई (उत्तर प्रदेश)

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