आ.एम. "मीमांसा" जी द्वारा रचना

मुझे तुमसे मुहब्बत है, कहो  इक  बार  हिन्दी में
भरम भय के बिना मुझसे,करो इजहार हिन्दी में
नही  है  प्रीत लव यू के,  तुम्हारे  खार  बोली  में 
मगर तुम प्रेम का  देखो,  बहे  रसधार  हिन्दी में

                   एम. "मीमांसा"

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