"बदलाव मंच "के राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय साप्ताहिक प्रतियोगिता
28/9 से 4/10/2020
विषय= गांधीजी/ अहिंसा और प्रेम
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
( अहिंसा और प्रेम)
भारत भूमि महान पुरुषों की जन्म स्थली रही है। माटी के लाल मोहनदास करमचंद गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के तटीय पोरबंदर में श्री करमचंद गाँधी और श्रीमती पुतलीबाई के घर हुआ था। गाँधी जी के मन पर माता के हिंदू -आदर्श की और पिताजी के सिद्धांत वादी विचारों की गंभीर छाप थी। गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा बाई जी के साथ हुआ और उन्हें चार पुत्र हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास हुए। इंग्लैंड से वकालत करके एक मुकदमे की पैरवी के लिए गांधी जी को दक्षिणी अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ भारतीयों के प्रति गोरे शासकों की अमानवता और हृदय हीनता को देखकर उनका मन विचलित हो उठा और उन्होंने भारतीयों की दशा सुधारने की शपथ ली यहीं से उनका सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन आरंभ हो गया। भारत लौटने पर गांधीजी ने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया और पूरा देश उनके पीछे चल पड़ा। सदभावना और समानता की दृष्टि से हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब मैं एक विश्वास रचा। उन्होंने चरखे से बने धागे से पूरे देश को एक सूत्र से बांधा। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए वर्ष 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में दांडी यात्रा और नमक सत्याग्रह 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन किये।
महात्मा गाँधी ने आक्रामक तरीके से लड़ने के बजाए शांति और अहिंसा का मार्ग अपनाया। साबरमती के संत के नेतृत्व में सभी आंदोलनों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधीजी के सारे प्रयासों से भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिल गई। ब्रिटिश सरकार द्वारा देश के विभाजन के प्रस्ताव को गाँधी जी ने ठुकरा दिया था किंतु करीबी लोगों के द्वारा समझाएं जाने पर देश की शांति के लिए उन्होंने मजबूरन अपनी सहमति दे दी।
दुर्भाग्य से हमने 30 जनवरी 1948 को गाँधी जी को खो दिया नाथूराम गोडसे ने उनके सीने में तीन गोलियाँ दागी। बापू के मुंह से निकले आखिरी शब्द ' हे राम' थे।
गाँधी जी की विचारधारा ने अपने समय के दौरान हजारों भारतीयों को प्रेरित किया और आज भी युवाओं को प्रभावित करना जारी है। वे केवल एक नेता ही नहीं बल्कि एक निष्काम कर्म योगी तथा सच्चे अर्थों में युगपुरुष थे।
गाँधी जी उच्च मूल्य वाले एक अत्यंत परिश्रमी व्यक्ति थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया।
हम सब ने बापू की हाथ में लाठी, तन पर खादी की धोती, नाक पर ऐनक और पांव में चप्पल तस्वीर देखी है जो हमें सिखाती है कि सरल जीवन उच्च विचार में विश्वास करना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मागाँधी केवल एक देश के नहीं बल्कि संपूर्ण मानव जाति के प्रेरणा स्रोत हैं। सत्य और अहिंसा के पुजारी बापू हम सब के दिलों में रहते हैं आज गाँधी जयंती के पर्व पर हम सब यह संकल्प करते हैं कि बापू के विचारों को अपनाकर हम एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत बनाकर दिखाएंगे। देश को तरक्की की राह पर आगे बढ़ाएंगे। बापू के सपनों का भारत बनाएंगे।
रश्मि मानसिंघानी
मस्कट, ओमान
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