आ. कवि श्री नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी द्वारा रचना (विषय-गुरु शिष्य)

विषय--गुरु शिष्य 


रचना--

गुरु है भाग्य विधाता
भाग्य की राह बताता।।
कर्म का मर्म बताता
धर्म ,ज्ञान ,विज्ञानं बताता।।
शिक्षक मर्यादा मूल्यों का
निर्माता ।।
शिक्षक  सार्थक सत्य बताता
थोथा से नाता तुड़वाता 
दृष्टि, दिशा ,उद्देश्यों का उदय
उद्देश्य पथ का प्रदर्शक।
साहस, शक्ति ,संस्कार प्रवर्तक
समाज, राष्ट्र मतलब, महत्व के
व्यक्ति ,व्यक्तित्व का निर्माता।।
गुरु  हथियार रंदा ,छीनी और
हथौड़ी हाड़ ,मांस, जान के पुतले
को घिसता काट, छांट कर सुन्दर
स्वीकृत सर्वोत्तम उपयोगी आकर्षक युग समाज उपहार बनाता।।
गुरु बोल चाल भाषा सिखलाता ।।
गुरु आचार व्यवहार सीखलाता।।
गुरु निति रीती का शास्त्र 
बताता।।
गुरु राष्ट्र समाज का अर्थ
बताता ।।
गुरु अवसर उपलब्धि का मार्ग
बताता गुरु भाग्य भगवान का व्यख्याता।। 
गुरु अक्षर, शब्द सिखाता
गुरु अर्थ ,काम और मोक्ष
सोच परिकल्पना संकल्पना
संयम, संकल्प जगाता।।
गुरु  स्वार्थ रहित परमार्थ 
महिमा गौरब गान।।
गुरु सत्य सत्यार्थ प्रकाश
शिक्षक पराक्रम पुरुषार्थ का
का करता निर्माण।।
गुरु भय से निर्भय करता 
ज्ञान ,विज्ञानं जीवन के मान
सम्मान का शिल्पी अंधकार के अंधेरों का शौर्य सूर्य मार्ग बनाता।।
गुरु बिन जीवन बेमोल
गुरु जीवन का मोल 
मूल्यवान बनाता।।
गुरु जीवन को अनमोल 
बनाता।।
गुरु बचपन को तरास समाज
राष्ट्र का  निर्माता।।
गुरु की शिक्षा जीवन का कर्म,
धर्म ,मर्म ,भाग्य विधाता।।
गुरु शिक्षक में फर्क नहीं गुरु ही
शिक्षक ,शिक्षक ही गुरु गुरु ज्ञान
है शिक्षक शिक्षा दीक्षा का वर्तमान
विज्ञान है।।
गुरु गोविन्द के मध्य गुरु ही प्रथम
पुज्जते जिसने बताय भगवान् है।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

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