फिसलती जबान..
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प्रेम से बोल~
सबके हृदय में
अमृत घोल
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जीभ रसीली~
कभी मत बनाना
तू ज़हरीली
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बनो सरल~
फिसलती ज़बान
होती गरल
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शब्दों के तीर~
तन पे घाव करे
अति गम्भीर
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द्वार तू खोल~
अमृतमयी वाणी
तोल के बोल
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान
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