👩🚒 आँखे👩🚒
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झील सी आँखे नीली हो,
या सागर से गहरी काली हो।
दुनियाँ का रंग दिखानेवाली,
आँखे तो मतवाली हो ।
बालो का रंग सुनहरा हो,
चाहें काली नागिन सा गहरा हो।
सौंदर्य सजा है नारी का इससे,
कवियों नें ये समझाया हैं।
सुन्दर-नारी की उपमा में,
ये सदियों से ही समाया हैं।
सारी सृष्टि का सुन्दर सपना,
आँखों ने ही दिखाया है।
इन नीली-काली आँखों नें,
जानें कितनों को भरमाया है।
कभी मदिरालय की उपमा,
कभी आँखें भी जाम पिलाती है।
कवियों की कल्पना में ये,
''आँखें''सबकों बड़ा लुभाती है।
नीली हो या काली हो आँखे,
दुनियाँ सबकों दिखलाती है।
दुनियाँ का सौंदर्य आँखों में,
सारे रंग नैनो में बसाती है।
आँखे छोटी या विशाल हो,
या सुंदरता की मिसाल हो।
झील सी नीली आँखें हो,
या चाहें हो वो गहरी काली।
दुनियाँ का हर रंग हो सुना,
जब आ जायें आँखों मे लाली।
दुनियाँ का हर रूप अधूरा,
आँखें जब हो चश्मे वाली।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखिका:-शशिलता पाण्डेय
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