बस तेरा ही तेरा नाम हो।
न आए खयाल किसी का बस
तेरे ख्यालों से ही सुबह शाम हो।
मैं, तुम क्या, पूरी दुनियां न जाने
की प्रेम का क्या अंजाम होगा।
चाहे तुम हकीकत न होना पर,
बस तुमसे ही हर जन्मों में प्रेम हो।
तुम चाहे जहां में कहीं भी रहो,
तेरे एहसासों की मकां मुझमें होगी।
जब तेरे एहसासों का बसेरा मुझमें हो,
तो मुझे मुझसे ही प्रीत होगी।
मेरी उम्र भी बढ़ती जाएगी,
तुमसे प्रेम भी बढ़ता ही चला जाएगा।
तुझमें मैं न रहूं, पर मुझमें
तुम होगी, बस तुम ही रहोगी।
_✍️ राव के भाव_
_©®सुब्रत कुमार राव_
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