शीर्षक -🙏 *मां* 🙏
जिसने नौ माह रखा उदर में
पोषण दिया पल पल में
वर्षों रखा हाथों में
पूरी उम्र रखा दिल में
हृदय में वसा लिया उसका नाम
उसे न्यौछावर जीवन का हर काम
गीता रामायण वेद शास्त्र रट डाले
पल पल याद न रखा जो मां का नाम
कितनी भी डिग्री ले लो , मेहनत कर लो
रहेंगे सदा सभी अधूरे काम
जो वो रहे हो उसे ही काटोगे 'चंद्र;
काल चक्र चलेगा निरंतर निष्काम
मां का आशीष ही ढाल बनेगा अविराम
मेरी औकात नहीं जो लिख पाऊं मां का आयाम
स्वयं विधाता रच न सका
मां का वैकल्पिक नाम
मां केवल मां है! स्नेह त्याग तपस्या नाम
बाकी रिश्तों में चाहत है ,
स्वार्थ लालसा वासना धाम
इसीलिए है-
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
मां शब्द का अर्थ है, या अर्थ का भंडार यसी
मां के चरणों में समर्पित
🙏 मां तुझे प्रणाम🙏
चंन्द्र प्रकाश गुप्त "चंन्द्र" अहमदाबाद , गुजरात
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मैं चंन्द्र प्रकाश गुप्त चंन्द्र अहमदाबाद गुजरात घोषणा करता हूं कि उपरोक्त रचना मेरी स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है
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