चंचल हरेन्द्र वशिष्ट, जी द्वारा बेहतरीन रचना#

'नवदुर्गा आराधना'
माँ दुर्गा लो अवतार, संकट दूर करो अब।
हे शक्ति करो उपकार,संकट दूर करो अब।
 
प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री की पूजा सभी करें
कलश स्थापित करके,जौ की खेत्री सभी करें
मैया भर दो सब भंडार,संकट दूर करो अब।

द्वितीय दिवस ब्रह्मचारिणी माँ हृदय में विराजे
कमल पुष्प धारण करें माँ हाथ कमंडल साजे
माँ नयनों में भरकर प्यार,संकट दूर करो अब।

तृतीय दिवस चंद्रघंटा माँ ,निर्मल है अति रूप
अर्धचंद्र मस्तक पर, है शांति कल्याण स्वरूप
माँ भक्तों की सुनों पुकार,संकट दूर करो अब।

चतुर्थ दिवस कुष्मांडा,माँ तुम ही आदिशक्ति
कृपा करो महारानी,माँ देना हमको भी शक्ति
भवसागर से कर दो पार,संकट दूर करो अब।

पाँचवें दिन मैया जी,रूप धरयो स्कन्दमाता
ध्यान धरे जो माँ का,वो दुखों से मुक्ति पाता
मैया कर दो बेड़ा पार ,संकट दूर करो अब।

छठा स्वरूप कात्यायनी,हरती सभी क्लेश
मन से दूर करो मैया,छल कपट,ईर्ष्या,द्वेष
दैत्यों का करके संहार,संकट दूर करो अब।

सप्तम कालरात्रि माँ ,दुष्टों का करती विनाश
मैया की दया से दूर हों भय, दुख और त्रास  
माँ की महिमा अपरम्पार,संकट दूर करो अब।

अष्टम दिन महागौरी माँ,सर्वविधि कल्याणी
रूप अलौकिक मैया , अमोघ फलदायिनी
मैया होकर सिंह सवार ,संकट दूर करो अब।

नवीं शक्ति सिद्धिदात्री,दिव्य रूप मन भाए
नवदुर्गा पूजें जो सदा,उन पर कृपा हो जाए
माँ का सजा रहे दरबार,संकट दूर करो अब।

जय अम्बे जगदंबे मैया, लेके शक्ति अवतार
रिद्धि,सिद्धि लेके मैया, आना फिर बारम्बार
हमें देकर अपना प्यार,संकट दूर करो अब। 

चंचल हरेन्द्र वशिष्ट,हिन्दी भाषा शिक्षिका,थियेटर प्रशिक्षक एवं कवयित्री
आर के पुरम,न ई दिल्ली
स्वरचित एवं मौलिक रचना

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1 टिप्पणियाँ

  1. 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏कर उपकार दाती महिषासुर को संसार तुमसे से हे! भगवती मेरी यही पुकार

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