कविता
गजब का मेरा देश भारत
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गजब का मेरा देश है यह भारत,
अजब गजब के यहाँ आदमी रहते,
कहते लोग वीरों की यह पावन धरती ,
पर यहाँ भ्रष्टाचारी बलात्कारी दिखते।
कैसे कहूँ मैं वीरों का यह देश,
जहाँ अक्सर होते बेटियों का बलात्कार,
खत्म हुयी मानवता इंसानियत यहाँ की,
खत्म हुआ अब यहाँ मानव संस्कार।
त्रेता में जब हुआ माँ सीता का अपहरण,
बीरोँ ने बहा दी थी खून की धार,
महाभारत में जब हुआ द्रौपदी चीरहरण,
बीरता की हुयी थी करारी हार।
कलयुग में अत्याचारी का बोलबाला,
कर रहे बहू बेटियों की इज्जत तार तार,
यहाँ कहीं नहीं अब कोई राम दिखता,
जो रोक सके यहाँ दुष्टों का अत्याचार।
अब तो हर गाँव समाज में रावण,
जिनके दिल दिमाग में राक्षसी विचार,
यहाँ राम का कहीं कोई पता नहीं है,
जो कर सके सारे दुष्टों का संहार।
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अरविन्द अकेला
1 टिप्पणियाँ
वाह,बहुत अच्छे।
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