कवयित्री चंचल हरेंद्र विशिष्ट जी द्वारा रचना (कलाम तुम्हें सलाम )

' बदलाव मंच राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय (साप्ताहिक प्रतियोगिता,09/10/2020से13/10/2020) घोषणा:  यह मेरी स्वरचित एवं मौलिक रचना है।
    
    शीर्षक ' कलाम तुम्हें सलाम '
     
भारत में तमिलनाडु के पावन रामेश्वरम धाम
15अक्टूबर,1931 को जन्मे थे डॉ  कलाम
निर्धनता में पले बढ़े पर प्रतिभा के थे धनवान
माता और पिता अपने का रोशन किया नाम

अभावों में किया लगन से स्थापित कीर्तिमान
कठिन परिश्रम से किया सफलता को संधान
सर्वधर्म सद्भाव प्रेम की ये बने थे श्रेष्ठ पहचान
जन जन के मन में बसे ऐसे थे ये डाॅ कलाम

इसरो, डीआरडीओ में किए थे नवअनुसंधान
परमाणु परीक्षण से रची कीर्ति अमिट महान
शक्तिशाली राष्ट्र बनाया,खूब बढ़ाई थी शान
तेरी दिव्य दृष्टि को हम करते दिल से सलाम

राष्ट्रपति पद पर सुशोभित व्यक्तित्त्व थे महान
धर्म बना देशभक्ति,मानवता,कर्मक्षेत्र विज्ञान
युवाशक्ति की बने ये प्रेरणा ऐसे थे ऊर्जावान
सादा जीवन,सरल स्वभाव,अद्भुत प्रतिभावान

पद्म विभूषण,भूषण,भारत रत्न जैसे सम्मान
संघर्ष से शिखर तक पहुँचे,पर नहीं अभिमान
मिसाइल मैन के नाम से विश्व में था गुणगान
27जुलाई 2015, शिलांग में हुआ देहावसान

कर्तव्य, समर्पण,प्रयास से हुआ था आत्मज्ञान
ऐसे प्रोफेसर, इंजीनियर,वैज्ञानिक को सलाम
विश्व छात्र दिवस के रूप में मान्यता की प्रदान
आओ करें जन्मदिन पर शत शत उन्हें प्रणाम

चंचल हरेंद्र वशिष्ट,हिन्दी भाषा शिक्षिका, थियेटर प्रशिक्षक, कवयित्री एवं समाजसेवी
आर के पुरम,नई दिल्ली
13/10/2020

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ