सादर समीक्षार्थ
विषय - छठ पूजा
विधा - कविता
आस्था विश्वास का है यह पर्व महान
कार्तिक मास में ,होता इसका गुणगान
पुण्य मिलता व्रत से, बनते बिगड़े काम
छठ माता को पूज कर, पथ होते आसान..।।
चार दिवसीय सदा ही, होता यह पर्व
सूर्यदेव को अर्घ्य दे, ले माई नाम
छठ माई सूर्यदेव का करो सम्मान
मनोकामना पूर्ण हों,दूर हों व्यवधान..।।
जब भी आता पर्व, बड़का प्रसन्न रहता मन
जैसे मन से सभी हो पापों का अंत
होते दूर विकार सभी,स्वच्छ होता मन
माई कृपा से मंगल होते भरपूर ..।।
धर्म ध्यान से सदा जग में मिलता मान
अज्ञान दूर होता सभी मिलता दिव्यज्ञान
भावनाएं अपनी तुम सदा रखो शुद्ध
मिलेगी प्रभु कृपा और परमानंद ..।।
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
0 टिप्पणियाँ