शिव गुरु वन्दना#श्रीमती देवन्ती देवी चंद्रवंशी जी द्वारा खूबसूरत कविता#

विषय *शिव गुरु वन्दना*
विधा         कविता
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हे दीन दयाल विरद संभारी
हरहु नाथ मम संकट भारी
द्वार खड़ी हूॅ पूजा थाली ले
अब दर्शन दे दो हे त्रिपुरारी

आप दुनिया की, पालन कर्ता
अपने भक्तों का दुख का हर्ता
शरण पड़ी मैं श्री नाथ तुम्हारे
तुम बिन नहीं कोई, दुख टारे

कहाॅ हो मेरे शिव गुरु कहाॅ हो
दर्शन दो ज्ञान ज्योति ज्ञान दो
पुकार रही हूॅ ,आओ जहाॅ हो
सही राह चलूॅ, वह बिज्ञान दो

अन्धकारमय,मेरी कहानी है
दिव्य ज्योति नेत्र ,प्रदान कर
हे शिव दुख मेरी ये पुरानी है
मार्ग बता शिवगुरु आन कर

बजा दो श्रीशिव गुरु डमरु
मिटे दुखी दरिद्री सभी मेरी
परमपिता  बजाओ  डमरू
विनती करती देवन्ती  तेरी
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  श्रीमती देवन्ती देवी चंद्रवंशी
          धनबाद झारखंड

मेरी स्वरचित कविता अप्रकाशित

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