साहित्यिक क्रांति के अनुगामी हम क्रान्तिकारी बदलाव का आगाज़ करें
नव सृजन का निर्माण कर
सामाजिक संस्कृति का नवोत्थान करें
साहित्य के परिचायक बनकर
सार्थक बदलाव का आगाज़ करें
नि:स्वार्थ भाव से सेवा कर
नव सृजन का निर्माण करें
साहित्य हो पहचान हमारी
परिलक्षित और परिभाषित करें
उद्देश्य पूर्ण जीवन हो हमारा
दृढ़ निश्चय कर प्रतिबद्ध रहें
साहित्यिक क्रांति के अनुगामी हम
क्रान्तिकारी बदलाव का आगाज़ करें
मानवता के प्रहरी बनकर
संस्कृति का विस्तार करें
नित्य नये आयामों के अप्रतिम प्रतिमान गढ़े
प्रेरणा का "दीपक" बनकर
प्रेरणा का संचार करें
✍कमलेश कुमार गुप्ता
1 टिप्पणियाँ
Wonderful 👌👌👌
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