प्रतिभा द्विवेदी जी की कविता 'मेरे पापा'

*मेरे पापा*
पापा तो पापा होते हैं ... 
कैसे उनको भूलेंगे वो हर पल दिल में रहते हैं...
निकलते रहते हैं उद्गार उनके लिए... 
हमेशा ही.. 
कोई दिन का मोहताज नहीं. 
हमारा प्यार उनके लिए.... ये तो अविरल धारा है...
जो नित बहेगी उनके लिए. जरूरी नहीं है जज्बात अपने
हम सदा बताएँ जमाने केलिए
मेरा हौसला., मेरी दम , मेरी हेकड़ी , मेरा स्वाभिमान हैं वो
जो पास करते आए हैं अपनी  जिंदगी में हम ... 
वो सभी इम्तहान हैं वो...
नाज हैं गुरूर हैं..सम्मान हैं वो ...
हम उनकी ही कृति हैं ..
मेरे लिए जिंदा साकार भगवान हैं वो ....
गुस्सा भी जताया उनको ..
प्यार भी लुटाया उन पर.
उनकी प्यारी बिटिया हैं हम. 
मेरी दुनियाँ जहान हैं वो !! यादों में हर पल जिंदा रहने वाले.. 
मेरी प्रेरणा , मेरी पहचान हैं वो !!  
मैं उनका गुरूर , मेरे लिए दुनियाँ में सर्वोत्तम  महान हैं वो !!   
दिया था आशीष उन्होंने हमको ., 
असंभव भी संभव हो तुमको , जो मिल रही है सफलता हमको , 
तो उसकी दिव्य खदान हैं वो !  उनके ही दिए विचार हैं हममें , मेरी कलम की जान हैं वो .. लवों में मेरे जो रहती है , 
इस प्रतिभा की मुस्कान हैं वो !! 
इस प्रतिभा की मुस्कान हैं वो! लेखिका-प्रतिभा द्विवेदी "मुस्कान"© 
सागर मध्यप्रदेश ( 21 जून 2020 )
मेरी यह रचना मेरे पापा को समर्पित है💐💐💐💐🙏
जो पूर्णतः स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक है सर्वाधिकार सुरक्षित हैं इसके व्यवसायिक उपयोग करने के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद 🙏

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