बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता।
विषय- सावन में लग गई आग
विद्या- कविता
दिनांक- 16, जून' 2020
दिन - मंगलवार
शीर्षक - सावन में क्यों आग
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झूमें बादल बन बाराती,
बन कर दुल्हा नाचे मोर।
मोरनी दुल्हन बन इतराती,
रिमझिम बूंदें करती शोर।
पहले सावन में नवब्याहता,
पिया छोड़ पीहर में आती।
हंसी ठिठोली संग सखी के,
प्रियतम तेरी याद दिलाती।
अमृत की बूंदों को पाकर,
धरा हरा कालीन बिछाती।
अल्हड़ यौवन झूला खाकर,
दिल के अपने राज बताती।
सावन भादो झड़ी देखकर,
बंध तोड़ नदियां इठलाती।
प्रियतम कि यादें आकर,
सावन में है आग लगाती।
प्रियतम क्वारेन्टाइ होकर,
14 दिन वनवास है पाता ।
बैरी बन कोरोना आकर,
सावन में क्यों आग लगाता।
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नाम - रमेश चंद्र भाट,
पता - क्वार्टर संख्या टाईप-4/ 61-सी, अणुआशा कालोनी, पो.आ. - रावतभाटा, वाया-कोटा, राजस्थान। पिन-323307,
ईमेल- ramesh.bhat43@gmail.com
Mob. 9413356728
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