जिन्दादिली

जिंदादिली

ना उदास हो, न निराश करो मन को,
जिंदगी मिली है, तो जिंदादिली से रहो।

तदबीर से बिगड़ी हुई,तकदीर बनती है,
जिंदा रहना है तो तरकीबे आजमाते रहो।

राह में पत्थर हजार मिलेंगे,पर याद रखो,
न हारो न थको अपना हुनर दिखाते रहो।

हर वक्त बजता रहे कानों में युद्ध का बिगुल,
जाने कब कुच कर जाना हो तैयारी रखो।

आंखों में ख्वाबों का महल,कभी टूटने ना देना,
नींद हो, ना हो, ख्वाबों को भरमा ते रहो।

जाने कब जिंदगी की शाम ढल जाए ' माधवी '
हुस्न है तब तक सजते सवरते रहो।

झूठ नहीं सच कहते हैं, लोग मियां,
दिलों की दहलीज पर,वक्त बेवक्त दस्तक देते रहो।

माधवी गणवीर
राष्ट्रपति पुरुस्कृत शिक्षिका
छत्तीसगढ़
बदलाव मंच
लिखित सह वीडियो काव्य प्रतियोगिता

शीर्षक - *जिंदादिली*
छायाचित्र साभार इंटरनेट

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