ज़िन्दगी तुझे क्या कहूँ


जिंदगी तुझे क्या कहूँ ?
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रुक रुक के वहने वाले पानी को क्या कहूँ ?
हर रोज बदलती ,कहानी को क्या कहूँ ??
तारों का चंदमा का दिनकर का ख्वाब ले ,
तन्हा यूँ गूजर जाती ,दीवानी को क्या कहूँ ??
मजदूर किसानो को ,मिलती है जो सहज ,
बचपन से ठहर जाती ,दीवानी को क्या कहूँ ??
अरमान बुझे से है ,खुशबू की चाह में ,
गुलशन में सिस्कती ,वीरानी को क्या कहूँ ??
अनजाने सितम सहता ,कहता नहीं "अनुज",
अश्को में पिघलती ,जुबानी को क्या कहूँ ??
!!ए जिन्दगी , तूझे क्या कहूँ !!

डॉ. अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ उत्तरप्रदेश 
Badlavmanch

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