गजल#प्रसिद्ध कवयित्री नीतू राठौड़ जी#बदलाव मंच

तू ही तू हैं आज फिर
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हर जगह पर तू ही तू हैं आज फिर
अनकही एक गुफ़्तगू हैं आज फिर।
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शब चुराई मैंने तेरे ख़्वाब से जो
रात मुझसे रँगे-ए- रू हैं आज फिर।
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अंजुमन में रात सोती रह गई
मन में कुछ अहले जुनूँ हैं आज फिर।
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अब न चाहत हैं मोहब्बत की कोई
एक अजब सी जुस्तजू हैं आज फिर।
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शब सुहानी आए न शायद कोई
एक खनक सी चार सु हैं आज फिर।
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जिसपे ठहरीं हैं ज़माने की नज़र
मन को तेरी आरजू हैं आज फिर।
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रोशनी रूबरू एक नजर आई हैं
चाँद के साथ मे "नीतू" हैं आज फिर।
💖💖💖नीतू राठौर भोपाल से💖💖💖💖💖

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