काश! ऐसा होता
चारो तरफ खुशी ही खुशी होती ।
ना ही कोई गम होता ।
अगर मैं ,तुम नही केवल हम होते ।
प्रकाश ही प्रकाश होता ।
ना ही कहीं कोई तम होता ।
ना ही कोई किसी पर गरम होता ।
अगर सबका ह्रदय नरम होता ।
देश का हित केवल करम होता ।
सेवा भाव ही केवल धरम होता।
लोक लाज थोडी शरम होती ।
समाज में भी अपराध बहुत कम होता ।
ना किसी के मन में कोई भरम होता ।
सब का हित अगर सम होता ।
काश! लोगों के बातों में दम होता।
ना कोई किसी के लिए यम होता ।
केवल मानवता ही परम होता ।
2 टिप्पणियाँ
कवि नारायण प्रसाद साहू जी को बहुत बहुत शुभेच्छा और शुभकामनाएं । बहुत ही सुंदर लिखें हैं महाशय ।🙏
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar kavita ke liye apko hardik shubhkamnaye.��
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