माँ बताया नहीं तूने

मां बताया नहीं तूने

मां बताया नहीं तूने की यहां सिर्फ जालिम लोग रहते हैं
यहां इंसानों को खुश कम, उसपे जुल्म ज्यादा करते हैं। 

मां बताया नहीं तूने की यहां बहुत ही बेदर्द लोग रहते हैं
यहां प्यार देनेवाले कम और दर्ददेने वाले ज्यादा होते हैं। 

मां बताया नहीं तूने यहां हवस के भूखे लोग ही रहते हैं 
यहां कोई सम्मान नहीं,हवस की भूख मिटाना चाहते हैं।

यहां इंसान नहीं बल्कि हर तरफ सिर्फ भेड़िया रहते है 
यहां कोई दया नहीं दिखते हैं सिर्फ नोचने को दौड़ते हैं।
यहां इंसान नहीं , इंसान के रूप में ही भेड़िया रहते हैं।।

मां बताया नहीं तूने की यहां सिर्फ बहरे लोग ही रहते हैं
चीखने चिल्लाने के बाद भी कोई  मदद नहीं करते है।

यहां तो सिर्फ मानसिक बीमारी के ही लोग रहा करते है
चेहरा देखने के बाद ये उम्र का भी ख्याल नहीं करते है।

 मां बताया नहीं की यहां सिर्फ मतलबी लोग ही रहते हैं
यहां गिरने के बाद भी कोई सहारा देना नहीं चाहते हैं।

मेने यहां इंसान में जन्म लेकर, क्या पाप कर दिया 
इंसान,इंसानियत को छोड़कर क्यों दरिंदा बन गया है। 
©रूपक

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