सृष्टि का सृजन अनन्त है,
जहाँ आदि है वही अंत है।
पतझड़ के बाद बसंत है,
उदय जहाँ वहीँ अस्त है।
यहाँ नादानी मत कर प्राणी,
आदि-अंत का खेल जगत है।
2020 का उपक्रम करोना ,
2020 का को ही अंत है।
जब होगा 2020 का अंत ,
बरसेंगी खुशियाँ अनन्त।
आगाज, नया अच्छा होगा,
सुन्दर होंगी फिर जग की रीत।
नये-नये सपनें अब, होंगे,
कोरोना काल भी जाएगा बीत।
सारी खुशियाँ अपनी होगी,
अपनी भी होगीं अब जीत ।
थोड़ा संयम रख ले प्राणी,
दुख-सुख दोंनों से कर प्रीत।
कल तो हमारा अपना होगा,
तू बन जा अभी अपनो के मीत।
💐समाप्त💐
स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखिका:-शशिलता पाण्डेय
Badlavmanch
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