मृत्यु की सईया टेर रही है,
न जानें क्यों कर देर रही है।
कुछ अपनों की राह निहारे,
थक गए कब से बाहँ पसारे।
आ अब मत कर यूँ देरी,
मुझको निंदिया घेर रही है।
मृत्यु की सईया टेर रही है,
न जानें क्यों कर देर रही है।
अधरों पर मुस्कान बसी है,
पर जीवन की राह फंसी है।
इत उत नैया डोल रही है,
मुझसे इतना खेल रही है।
कोई तो आके मुझको सँवारे,
मुझसे अँखियाँ फेर रही है।
मृत्यु की सईया टेर रही है,
न जानें क्यों कर देर रही है।
कांधों पर ले जाना मुझको,
राम का नाम बतलाना मुझको।
कदम कदम सब साथ निभाना,
काँधे काँधे दर तक पहुंचना।
सांसें बोझिल बोझिल सा है मन,
फिर क्यूँ यूँ कर देर रही है।
मृत्यु की सईया टेर रही है,
न जानें क्यों कर देर रही है।
आ अब मत कर यूँ देरी,
मुझको निंदिया घेर रही है।
अनुराग बाजपेई(प्रेम)
8126822202
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