प्रसिद्ध कवयित्री गीता पांडेय जी द्वारा 'गजानन गणेश' विषय पर कविता की प्रस्तुति

दिनांक-22/08/2020
दिन-शनिवार 
विषय-गजानन गणेश 
विधा-कविता 
प्रकृति-स्वरचित

              *गजानन गणेश*

गजानन गणेश जी की जय जयकार।
आपकी  महिमा  होती  है  अपरंपार।
लगड़े को पैर देते,अंधे को देते है नैन।
भक्तों की लाज रखने हेतु होते बेचैन।

विघ्न को हरने वाले , गौरी पुत्र गणेश।
जिसकी स्तुति करें,ब्रह्मा,विष्णु,महेश।
मंगलकारी,शुभ कार्य कराने में प्रधान।
आप ही ऋद्धि सिद्धि के भी, भगवान।

शुभ- लाभ के भी,आप ही है विधाता।
आपके बिना,भक्त कुछभी नहीं पाता।
सभी देवताओं में आप ही है सर्वश्रेष्ठ।
जिसके लिए सभी प्रयास किये सचेष्ट।

देवताओं में, एक बार मची ऐसी होड़।
हम सबमें कौन है सबसे श्रेष्ठ,बेजोड़।
सिद्ध करने में लगाये धरा का चक्कर।
गणेश जी का चूहा,कैसे देता टक्कर ?

माता पिता का ही,वे  किये  परिक्रमा।
सबसे  ऊॅचा  बने  वही  ही परमात्मा।
सबसे पहले बने पूजन के अधिकारी।
गीता पाण्डेय कहती, नमन है हमारी।

स्वरचित कविता 
गीता पाण्डेय, रायबरेली, उत्तर प्रदेश

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