कवि अशोक शर्मा वशिष्ठ जी द्वारा 'कोरोना में शादी' विषय पर रचना

कोरोना मे शादी
      
    कोरोना मेंं शादी सीधी सादी
न पैसे की हो बर्बादी
न कोई पंडित न कोई शहनाई
रस्मों कसमों से उपर उठ कर शादी रचाई

    न कोई खर्च न कोई दिखावा
न कोई आडम्बर न पाखंड
न महंगे गहने न महंगा पहनावा
कोरोना का खौफ और डरावा

    ऐसी शादी मेंं बचत ही बचत
धन की नहीं लगे है चपत

    न कोई शोर न शराबा
कोरोना की दहशत से रुका यह बढावा

    न कोई मीट न कोई शराब
न कोई मुर्गा न कोई कबाब
पर्यावरण का होवे बचाव
शारीरिक दूरी एकमात्र बचाव

      सादी शादी समाज का अतुलनीय उपहार
समाज मेंं फैलाए नैतिक संस्कार
भ्रष्ट व्यवस्था पर जोरदार प्रहार
आओ करें इस सादी शादी का प्रचार

                   अशोक शर्मा वशिष्ठ

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ