रक्षा बंधन


मंच को नमन
विषय -रक्षा बंधन

सदियों से चला आ रहा
अमिट प्यार
जहां नहीं है
कोई तिरस्कार
हर स्थिति में
वह करती है कामना
सुखमय
जीवन की
निर्द्वद भाव का
पावन
भाई बहन का
अनुपम रिश्ता
 कच्चे धागे
से बंधा होता
अमर दुलार
ऐसा होता है
रक्षा बंधन

जन्म से लेकर
जीवन की अंतिम सांस तक
निभाती है अपना कर्तव्य
सुख-दुख सब सहकर
भाई के हर दुख में
भाई के हर सुख में
निभाती है साथ
बिना कुछ कहे
बिना कुछ मांगे
ऐसा होता है
सौहार्दपूर्ण
आलोकिक त्योहार
होता
रक्षा बंधन

इतिहास भी
इसका है साक्षी
रक्षा बंधन ने
की है देश की रक्षा
कभी ना कलंकित होने वाला
कभी न मिटने वाला
कर्तव्य निभाने वाला
फूलों से खुशबू भरा
प्रकृति का श्रृंगारगार वाला
अद्वैत
होता है
त्योहार
रक्षा बंधन
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक ,कोंच, जनपद-जालौन,उत्तर- प्रदेश-285205
Badlavmanch

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