आगमन होने के एहसाससे, खिला वातावरण खुशियों से प्रफ्फुलित है, सभी यहा के आवरण

रक्षाबंधन
आगमन होने के एहसाससे, खिला वातावरण
खुशियों से प्रफ्फुलित है, सभी यहा के आवरण

है अनोखा बंधन, भाई की रक्षा के लिए
ये मात्र नही है, एक सुत्र के धागे का तृण

प्रेम भरी भावनाएं, और है अंतर आशीष
अदृश्य परमात्मा से, की प्रार्थना का रक्षण

युगो यूगो से राखी के, पर्व का है महिमा यहां
कुंती अभिमन्यु ओर , कथाओं में है विश्लेषण

है शुद्ध आत्मा, और निर्दोष निर्मल मनभाव
सिद्धि और सामर्थ्य का, संकल्प करे पूर्ण

हुमायूं,बलिराजा और कृष्ण की,अनोखी बात
है ये त्यौहार, दिन पूनामका और मास श्रावण

"रक्षाबंधन" का त्योहार है पवित्र और परम 
' कलम 'हर  घर गूंज उठे, महेक उठे हर क्षण

सुथार सुनील एच. "कलम"
एम. पी. सी.सी भांडोत्रा , कंप्यूटर शिक्षक
गाम - रानोल , ता- दांतीवाड़ा, जि- बनासकांठा, गुजरात , 385545
ई- मेल : sutharsunil01@gmail.com
मो. 9979363553
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